Thursday, September 24, 2009

अस्तित्व

मैंने कई बार देखा है
दो इंटो के बीच se अंकुर फूट ते
मैंने कई बार देखा है दीवार पर पीपल को जमते......
जो बस यही कहता है.......
जहाँ ज़रा सी ,ज़रा सी मिटटी थी.......
जहाँ ज़रा सी , ज़रा सी धुप थी......
जहाँ ज़रा सा, ज़रा सा पानी था .......
हां एक अंकुर का अस्तित्व था
वहां मिटटी, धूप और पानी था

Wednesday, September 23, 2009

जो तपा नही


जो तपा नही
वो गला नही

जो गला नही
वो ढला नही

जो ढला नही
वो बना नही

जो बना नही
वो गढा नही

तो फ़िर चले
कहा ....
अपनी अपनी मंजिल में तपने के लिए

Saturday, September 19, 2009

मज़ा किसमे है

मज़ा किसमे है मज़ा किसमे है ....? रूठने में या मनाने में मज़ा किसमे है ....? खुद मुस्कराने में या मुस्कराहट देने में मज़ा किसमे है ....? अपने बचपने में या बच्चो के बचपने में मज़ा किसमे है ....? फिसलने में या फिसलने से बच जाने में मज़ा किसमे है ....? पैसा बचाने में या पैसा खर्च करने में मज़ा किसमे है ....? ज़िन्दगी बचाने में या ज़िन्दगी खर्च करने में मज़ा किसमे है ....? दास्ताँ सुनाने में या दास्ताँ सुनने में मज़ा किसमे है ??????????

Wednesday, May 20, 2009

प्यास


पानी से मत पूछो
प्यासे से पूछो
प्यास क्या होती है

यदि पानी को
ज्ञान हो जाए
प्यासे की प्यास का
तू शायद वो
बहना छोर दे

रुक जाए ,थम जाए
और कही तालाब बन
कर दूषित हो जाए .

जब से इन्सान को
अपना ज्ञान हो गया है
तभी से वो तालाब की
तरह दूषित हो गया है .

Monday, May 11, 2009

हां में पत्थर हूँ

हां मैं पत्थर हूँ
मेरी ठोकर सिर्फ़
दर्द ही नही देती

धीरे से कहती भी है
रूको ,देखो ,
कही तुम
ग़लत तो
नही जा रहे हो

Thursday, May 7, 2009

योगी



बाहर खड़ा है योगी बोले मीठी बोली

ये दुनिया है खेल तमाशा ले ले ज्ञान की गोली

मोह माया में फंसा है तू करता है हमजोली

कैसेट ले ले पुस्तक ले ले ,पढ़ ले थोरी थोरी

खर्चे मेर बहुत बढ़ गए ,कर न आँख मिचौली

थोरा सा तू पैसा दे दे ,ले ले ताबीज मोरी .........

बहुत बार में योगी हूँ,न जाता किसी के द्वार

बेटे में दिक्कत में है, करना है उपचार........

रोग तुम्हारा मुझे पता है, करना है निदान

गुरु मंत्र में छुपा हुआ ,तेरा सारा इलाज .......

मोह माया तू चोरे के आजा ,गांठ में पैसा ले के आजा

चिलम पिला दे फूँक लगा दे ,मुद्रा दे दे थोरी........

जोगिया रंग है धारा मेंने कपडा hai videshi

bahut se shishya door se baithi leti gyan ki goli .....

Wednesday, May 6, 2009

नीद ठहर जा


नीद कुछ पल ठहर जा
एक अच्छा सा ख्वाब
आँखों में आने दे.......
भागम भाग में
कट गया दिन
कर्वी हकीकतो से
भर गया दिल
तंग गलियों में एक
आजाद ख्याल आने दे
नीद कुछ पल ठहर जा .....
मिट जाए आज की थकान
आ जाए कल की स्फूर्ति
आज के सुंदर लम्हों को
धागों में पिरोने दे ......
नीद कुछ पल ठहर जा
एक अच्छ सा ख्वाब
आँखों में आने दे ........

Monday, May 4, 2009

दर्द

जब भी कोई दर्द सीने से बाहर आया है
तुमने कांटो से उसे खूब सहलाया है

हमने जख्म सुखाने की दवा मांगी थी
तुमने जले में नमक झिरकाया है