Thursday, September 24, 2009

अस्तित्व

मैंने कई बार देखा है
दो इंटो के बीच se अंकुर फूट ते
मैंने कई बार देखा है दीवार पर पीपल को जमते......
जो बस यही कहता है.......
जहाँ ज़रा सी ,ज़रा सी मिटटी थी.......
जहाँ ज़रा सी , ज़रा सी धुप थी......
जहाँ ज़रा सा, ज़रा सा पानी था .......
हां एक अंकुर का अस्तित्व था
वहां मिटटी, धूप और पानी था

Wednesday, September 23, 2009

जो तपा नही


जो तपा नही
वो गला नही

जो गला नही
वो ढला नही

जो ढला नही
वो बना नही

जो बना नही
वो गढा नही

तो फ़िर चले
कहा ....
अपनी अपनी मंजिल में तपने के लिए

Saturday, September 19, 2009

मज़ा किसमे है

मज़ा किसमे है मज़ा किसमे है ....? रूठने में या मनाने में मज़ा किसमे है ....? खुद मुस्कराने में या मुस्कराहट देने में मज़ा किसमे है ....? अपने बचपने में या बच्चो के बचपने में मज़ा किसमे है ....? फिसलने में या फिसलने से बच जाने में मज़ा किसमे है ....? पैसा बचाने में या पैसा खर्च करने में मज़ा किसमे है ....? ज़िन्दगी बचाने में या ज़िन्दगी खर्च करने में मज़ा किसमे है ....? दास्ताँ सुनाने में या दास्ताँ सुनने में मज़ा किसमे है ??????????