Sunday, October 12, 2008

शक्ख्सियतमत

शक्ख्सियत

मत बनने दो
अपने को इतना ghulanasheel l
खो दोगे अपना अस्तित्व
हो जाओगे सार् हीन

दूध मै पानी मिला देने से
पानी भी दूध हो जाता है
दूध – दूध ही रहता है

yadi तुम पानी हो तो
मत करो दूध बनने कि कल्पना
क्योकि अभी तो तुम शुद्ध पानी हो
फिर हो जाओगे
अशुद्ध् दूध्

15 comments:

डाॅ रामजी गिरि said...

"मत करो दूध बनने कि कल्पना
क्योकि अभी तो तुम शुद्ध पानी हो"

गूढ़ दर्शन की बात बड़े ही सहज अंदाज़ में की है ...बहुत खूब ..

रश्मि प्रभा... said...

kafi gudh rahasya ki baat hai aur sabse achhi baat ki badi saralta se kahi gayi hai....

BrijmohanShrivastava said...

दूध में पानी मिला देने से पानी भी दूध हो जाता है
लेकिन दूध अशुद्ध हो जाता है
दूध ही नहीं पानी भी असुद्ध हो जता है
गंगा जल भी शराब में दाल देने से शराब अशुद्द हो जाती है
लेकिन गंगाजी में शराब डाल देने से गंगाजी अशुद्ध नहीं हो जाती हैं
भलेही हमारा अस्तित्व मिट जायेगा
मगर हमारा जीवन तो सुधर जायेगा
इतने पर भी आपकी बातों से सहमत होते हुए निवेदन है की
न इतना कड़वा बन .,कि जो चक्खे सो थूके
न इतना मीठा बन कि चट कर जाएँ भूके

Upinder Singh Dhami said...

vry good
different thinking

मोहन वशिष्‍ठ said...

kaafi achcha likhte ho likhte raho

सुभाष नीरव said...

अच्छी और सुन्दर अभिव्यक्ति ! लेकिन हिन्दी में लिखते लिखते बीच में रोमन अंग्रेजी के शब्द क्यों? मेरी बधाई स्वीकार करें।

Udan Tashtari said...

लिखना स्थगित क्यूँ है आखिर..जब इतना उम्दा लिखती हैं. नियमित लिखिये, शुभकामनाऐं.

Urmi said...

बहुत बहुत शुक्रिया आपके सुंदर कमेन्ट के लिए! आपने इतनी खूबसूरती से मेरी शायरी की तारीफ की कि मेरा दिल खुशी से बाग बाग हो गया!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत ही सुंदर लगा !अब तो मैं रोजाना आती रहूंगी! बहुत ही उंदा लिखा है आपने!

Divya Narmada said...

ये सच है की आपका है अंदाजे-बयां और.

Dileepraaj Nagpal said...

doodh aur paani k bahane se acha kha aapne

anilbigopur said...

sahi bat likhi h aapne

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

मत करो दूध बनने कि कल्पना
क्योकि अभी तो तुम शुद्ध पानी हो"

अच्छी और सुरचना बहुत अच्छी लगी।
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।आप मेरे ब्लाग
पर आएं,आप को यकीनन अच्छा लगेगा।
न्दर अभिव्यक्ति !

Urmi said...

बहुत बहुत शुक्रिया अर्चना जी आपके सुंदर टिपण्णी के लिए! आप कुछ नया पोस्ट कीजिये मैं आपके पोस्ट का इंतज़ार कर रही हूँ!

Unknown said...

Archana ji
nazm ka kendra bindu...खो दोगे अपना अस्तित्व
हो जाओगे सार् हीन
bahut sunder laga
aapki kavita me soch hoti hai
badhai...shesh phir

sonal said...

bahot acha likha hai apne...daily life se apne bahot acha example liya hai...seekh deti hai youngsters ko...