रचना अच्छी है,पर मुकेश पोपली जी की बात का मैं भी समर्थन करते हुए कहूँगा कि हिंदी भाषा में थोड़ा सा मन और लगाइए और प्रोफ़ाइल मे भी अपना नाम हिन्दी में लिखिए.....कभी कभी गंगवार की जगह गैंगवार लगने लगता है.......
आपकी टिपण्णी के लिए शुक्रिया! बहुत ही सुंदर रचना लिखा है आपने और इसी तरह लिखते रहिये ! मेरे इन ब्लोगों पर आपका स्वागत है- http://khanamasala.blogspot.com http://urmi-z-unique.blogspot.com
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
11 comments:
अर्चना जी,
अच्छा लिख लेती हैं आप, मगर आपसे एक प्रार्थना है कि हिंदी भाषा में थोड़ा सा मन और लगाइए ।
दर्द को काँटे से सहलाने का खयाल अच्छा है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
main bhaayi mukesh ji kee baat se sahmat hun....
aasha hai aage aur bhi achha padhne ko milega
narayan narayan
रचना अच्छी है,पर मुकेश पोपली जी की बात का मैं भी समर्थन करते हुए कहूँगा कि हिंदी भाषा में थोड़ा सा मन और लगाइए और प्रोफ़ाइल मे भी अपना नाम हिन्दी में लिखिए.....कभी कभी गंगवार की जगह गैंगवार लगने लगता है.......
आपकी टिपण्णी के लिए शुक्रिया!
बहुत ही सुंदर रचना लिखा है आपने और इसी तरह लिखते रहिये !
मेरे इन ब्लोगों पर आपका स्वागत है-
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बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
acha likha hai blog jagat mai aapka swagat hai
ख्याल को तो बस महसूस करें उसका प्रवाह या वेवलेंथ किसी भी भाषा से परे है. अर्चना जी के दर्द को तो बस महसूस करने की जरुरत है. अपने अच्छा लिखा है.
bahut hee sunder,
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