मेरी ख़ामोशी में छुपी है तासीर मेरी
ये बर्र का छत्ता है कही छेड़ न देना .
औरत
बादलो के पार झाँक लेती है
औरत आपकी जेब भी आँक लेती है .
किताबे नहीं पढ़ी तो क्या हुआ
औरत आपकी आँख भी भाँप लेती है .
न खोले लब , तब भी क्या हुआ
औरत लोटते सांप भी मार लेती है .
परिधि चाहे जितनी बड़ी हो
केंद्र से एक चाप डाल देती है .